हरिहरपुरी कृत दुर्मिल सवैया
हरिहरपुरी कृत दुर्मिल सवैया
टलना मत चाबुक दे मन को, कहना जिस को उस को गहना।
मन भाग रहे यदि तो पकड़ो, जकड़ो बुधि से सहसा बहना।
रहना मतवाल बने चलना, वह काम करो जिस को कहना।
मत दूर भगो डटना सटना,कहना वह बात जिसे करना।।
हरिहरपुरी कृत दुर्मिल सवैया
मत छोड़ किसी प्रिय मानुष को, भल मानव को हिय में रखना।
शिव गायन पाठ किया करना, हर गाँव सदा रमते रहना।
मत क्रोध न लोभ रहे मन में, अपने हित का न दिखे सपना।
अपना सपना मनभावन हो,मधु मूरत हो जिमि राम जना।
Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:25 PM
शानदार
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Haaya meer
01-Jan-2023 09:21 PM
👌👌
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Sachin dev
01-Jan-2023 06:15 PM
Nice
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